हिन्दू धर्म में भादो में पड़ने वाली पहली अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन महिलाएं गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करती हैं और तुलसी 108 परिक्रमा करती है. इसके पश्चात, जप-तप और दान-पुण्य करती हैं. इस दिन लोग अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान भी करते हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार, सोमवती अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, लोगों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उनकी कृपा से सुख, सौभाग्य, आय और वंश में वृद्धि होती है. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की सोमवती अमावस्या तिथि 2 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 03 सितंबर को सुबह 07 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगीच. उदयातिथि के अनुसार, 2 सितंबर को ही सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी. ज्योतिष के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का समापन शाम 06 बजकर 20 मिनट पर होगा. इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बन रहा है,. इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इस योग में स्नान-ध्यान और पूजा-पाठ करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है.
सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय
- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की प्रिया माता तुलसी की पूजा करें.
- इस दिन यदि माता तुलसी 108 बार परिक्रमा की जाए तो ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है.
- इस दिन तुलसी जी को कच्चे दूध के साथ सींचना चाहिए. इसके बाद इसी मिट्टी को माथे पर लगाएं.
- शाम के समय तुलसी जी के पौधे के सामने घी का दीपक बहुत ही शुभ माना जाता है.
क्यों की जाती है परिक्रमा?
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करते समय पानी में गंगाजल अवश्य मिला लें. इस दिन माता तुलसी के पौधे की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है. तुलसी की पूजा के बाद गरीबों को कुछ दान अवश्य देना चाहिए. सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना, ओंकार का जप करना, सूर्य नारायण को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि सिर्फ तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से घर की दरिद्रता भाग जाती है और जीवन भर में घर में खुशहाली बनी रहती है