टिहरी, 5 सितंबर 2025 — टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (टीपीडीसी-आईएचईटी), टिहरी द्वारा “नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र: जलविद्युत परियोजनाओं के लिए एआर-वीआर कंटेंट डेवलपमेंट” विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन किया गया। यह कार्यशाला जल ऊर्जा मित्र कौशल विकास कार्यक्रम और डिजिटल मीडिया क्लब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों को एआर (ऑगमेंटेड रियलिटी) और वीआर (वर्चुअल रियलिटी) जैसी उभरती डिजिटल तकनीकों के माध्यम से जलविद्युत परियोजनाओं के डिज़ाइन और सिमुलेशन में प्रशिक्षण देना था।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को यूनिटी प्लेटफ़ॉर्म, 3डी मॉडलिंग, C++ स्क्रिप्टिंग, एनिमेशन डिज़ाइन, यूजर इंटरफेस, एआर (मार्करबेस्ड और मार्करलेस) एवं वीआर कंटेंट निर्माण जैसी तकनीकों से अवगत कराया गया। प्रतिभागियों ने विभिन्न मॉड्यूल जैसे कि यूनिटी हब इंस्टॉलेशन, गेम ऑब्जेक्ट्स, 3डी स्पेस में नेविगेशन, मैटेरियल-शेडर, लाइट्स, फिजिक्स कंपोनेंट्स, कैनवास और एनिमेशन पर भी काम किया। टेक्यूरियस प्राइवेट लिमिटेड के विशेषज्ञ श्री उत्कर्ष रावत (सीनियर यूनिटी डेवलपर) और श्री साहिलजीत सिंह (सीनियर 3डी आर्टिस्ट) के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने पेल्टन, फ्रांसिस और कपलान टरबाइन, बटरफ्लाई वॉल्व और बॉल वॉल्व जैसे जलविद्युत उपकरणों का एआर-वीआर आधारित सिमुलेशन तैयार किया। इन प्रोजेक्ट्स को प्रतिभागियों ने टीमों में मिलकर सफलतापूर्वक विकसित किया।
कार्यशाला का समापन संस्थान के निदेशक महोदय प्रोफेसर शरद कुमार प्रधान के मार्गदर्शन में संपन्न किया गया। कार्यक्रम की समन्वयक सुश्री अनुप्षी जौहरी, सहायक प्रोफेसर (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग) तथा डिजिटल मीडिया क्लब की संयोजिका रहीं। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा और इससे प्राप्त होने वाले लाभों की विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर टेक्क्यूरियस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ डॉ. नरेंद्र कुमार, सीटीओ श्री हर्ष रावत भविष्य के लिए AR और VR के महत्व को समझाया I श्री नितिन कुमार गुप्ता, विभागाध्यक्ष (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) ने डिजिटल मीडिया क्लब की पहल की सराहना की और छात्रों द्वारा तैयार की गई एआर-वीआर परियोजनाओं की प्रशंसा की।इस कार्यशाला में 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया और अपने क्षेत्र से संबंधित विभिन्न एआर-वीआर कंटेंट आधारित प्रोजेक्ट्स विकसित किए। यह कार्यक्रम तकनीकी शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक सफल प्रयास साबित हुआ।
