मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को आईटीबीपी कैंपस सीमाद्वार, देहरादून में आईटीबीपी उत्तरी सीमान्त मुख्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित ‘रेजिंग डे’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आइटीबीपी जवानों के साथ रात्रिभोज किया। साथ ही बड़ी संख्या में मौजूद जवानों से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना। उन्होंने आइटीबीपी बैंड के जवानों को उपहार देकर सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने आईटीबीपी के शहीद जवानों के परिजनों एवं सेवानिवृत्त सैनिकों को सम्मानित किया। उन्होंने सिलक्यारा रेस्क्यू टनल ऑपरेशन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले आइटीबीपी जवानों को भी सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने आईटीबीपी की 16 नई गठित अग्रिम चौकियों के लिए शीघ्र ही भूमि उपलब्ध करवा दिए जाने की बात कही।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आईटीबीपी पिछले 06 दशकों से देश की सेवा हेतु हमेशा तत्पर है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी आईटीबीपी के जवान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते है। विपरीत परिस्थिति में सीमाओं पर चौकस रहने के लिए अनुशासन और वीरता की भावना अहम होती है। आईटीबीपी के जवानों का अनुशासन, उनकी वीरता और देश सेवा की भावना अतुलनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सैनिक परिवार से होने के कारण उन्होंने फौज के अनुशासन को बचपन से देखा और जिया है। जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी होता है, अनुशासन समाज को एक सभ्य समाज बनाता है। व्यक्ति कैरेक्टर में डिसिप्लिन से आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचता है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आईटीबीपी के जवान हिमालयी क्षेत्रों में आयी विभिन्न आपदाओं में राहत अभियानों का संचालन करते हैं। शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद हमारे चारों धामों, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी आईटीबीपी के सशक्त और जिम्मेदार हाथों में होती है। चुनौतीपूर्ण माहौल में भी आईटीबीपी के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। उन्होंने उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही वीरभूमि भी बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशन में सैनिकों एवं उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने से लेकर शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में भी वृद्धि की है। उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की वीरांगनाओं एवं वेटरन की पेंशन प्रतिमाह 8 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये करने का भी निर्णय लिया है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी विधवाओं की प्रतिमाह पेंशन 21 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई है।
इस अवसर पर आईजी श्री संजय गुंज्याल, आईजी पी.एस डंगवाल, डीआईजी श्री मन्नू महाराज, कमांडेंट पीयूष पुष्कर एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।