हरिद्वार, मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित धर्मनगरी के तमाम घाटों पर गंगा स्नान किया और सूर्य को अर्ध्य देकर तथा दान पुण्य कर परिवारों के लिए मंगल कामना की। साथ ही खिचड़ी, तिल आदि का दान किया। स्नान को संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन की और से मेला क्षेत्र के 8 जोन व 21 सेकटरों में विभाजित कर सुरक्षा व यायातात के प्रबंधक किए थे। घाटों पर और मेला क्षेत्र में पुलिस बल की तैनाती के साथ सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी गयी। सवेरे ब्रह्म मुहर्त में शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दिन भर चलता रहा। स्नान के पश्चात श्रद्धालुओं ने मंशा देवी, चंडी देवी आदि पौराणिक मंदिरों में दर्शन भी किए।
पोराणिक मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता की पूजा अर्चना, गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान-पुण्य को कई गुना फलदायी माना जाता है। हरिद्वार में गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से समस्त पापों का क्षय हो जाता है।
मकर संक्रांति स्नान से मिलता है कई यज्ञों के बराबर पुण्य फल-महंत मधुसूदन गिरी
कनखल सन्यास मार्ग स्थित बापेश्वर धाम के परमाध्यक्ष महंत मधुसूदन गिरी महाराज ने बताया कि गंगा स्नान कभी भी किया जाए। हमेशा पुण्य फलदायी होता है। लेकिन मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से शरीर पवित्र और मन निर्मल हो जाता है। जिससे जन्म जन्मांतर के पापों से निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष और अक्षय पुण्य फल मिलता है। कई यज्ञों के बराबर फल मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। मकर संक्रांति पर ब्रहम मुर्हत में गंगा स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दें और दान आदि करें। इस दिन गंगा स्नान करने और दान देने से व्यक्ति के लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के बराबर पुण्य मिलता है और देवी देवता भी प्रसन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि महर्षि वेदव्यास के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, नर्मदा, कावेरी, सरयू, चंबल आदि नदियों में विधिवत स्नान, तर्पण और दान करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। गंगा में स्नान करने के उपरांत पूर्वजों को तपर्ण अवश्य दें। इसे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी कार्य सकुशल संपन्न होते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।